Sunday, September 23, 2018

आदतें

 एक व्यक्ति के स्वभाव से पता चल जाता है, कि सामने बाले की आदतें कैसी हैं,वह अपने दिन चर्या की शुरुआत कैसे करता है और वह अपना जीवन कैसे जी रहा होता है।
अगर आदतें अच्छी हों,तो हमे कर तरह के फायदे होते रहते हैं,जिसका हम अनुमान भी नही लगा सकते,जबकि आदतें बुरी हो तो उसका पता हर किसी के पास होता है, अच्छी आदतों को भले कोई ध्यान न दे ,पर बुरी आदतें किसी से छुपी ही नही राह सकतीं।ठीक वैसे ही जैसे आग लगने पे धुंए का उड़ना।

एक हमारे घास मित्र है,मोनू जी ,उम्र में मुझसे काफी बड़े है, पेशे से नाई हैं। मेरा घर उनके दुकान से काफी दूर है,जबकि नजदीक पे भी कई दुकानें हैं।फिर भी मैं मोनू जी के पास ही बाल बनबाने जाता हूँ,ऐसा नही है कि वो कम रेट पे मेरा काम करते हैं, या मेरे बहोत घास मित्र हैं।फिर भी मैं उनके तरफ खिंचा चला जाता हूँ।क्योंकि मोनू जी का जो स्वभाव है, उनके लोगो के प्रति बात करने की जो शैली है, वो बहुत अच्छी है, वो सबसे बड़े इज्जत और सम्मान के साथ व्यवहार करते हैं।और ऐसा भी नही है कि मोनू जी केवल बड़े और अमीर लोगो से ही इज्जत देते हैं, वो तो राह चल रहे राही से भी राधे राधे कर लेते हैं और उनकी इन्हीं अच्छे व्यवहार के कारण,उनके दुकान में लोगो की भीड़ लगी रहती है।
पहले मुझे लगता था कि ये बंदा धंदा बढ़ाने के लिए लोगो से जी हुजूरी करता है, या फिर दिखाबा करता है, जिससे ज्यादा लोग उसके संपर्क में आयें।

एक और महाजन हैं, जो मेरे पहचान के ही हैं, उनका व्यवसाय सब्जी भाजी का है, दिखने सुनने मे बढ़िया हैं।लोगो के संपर्क में भी रहते हैं, पर उनका धंदा ज्यादा चलता नही है।समस्या ये है कि वो हर बात पे गलत शब्दों का उपयोग करते हैं और गाली गलौच भी देते रहते हैं। ऐसा भी नही है कि उस व्यक्ति पे कोई कमी है या वह बहोत बुरा है। आदमी ठीक है, ईमानदार है, लोगो की जरूरत पड़ने पे मदत भी करता है।फिर भी उसके अच्छे स्वभाव न होने के काऱण ,उसके पास कम ग्राहक है।
पहले मित्र थे मोनू जी जिनका स्वभाव अच्छा होने के चलते लोग उनके तरफ खिंचे चले जाते हैं और दूसरे बंदे है, सब्जी भाजी बाले,जिनका बर्ताव अच्छा न होने के चलते,उनके लिस्ट में ग्राहक की बढ़ोतरी कम है, दोनो में स्वभाव का फर्क है। और स्वभाव आता कहाँ से है,हमारी आदतों से,जिससे हम बेखबर होते हैं, और अपना ही नुकशान कर बैठते हैं।
मोनू जी जिसे मैं दिखाबा कहता था,दरअसल वो उनकी आदत है, लोगो से सलामी करना,आदर सत्कार करना,बड़ो की इज्जत करना, मीठी वाणी का उपयोग करना। शुरू शुरू में भले उन्हें थोड़ा अजीब लगता रहा होगा,पर जब वह प्रतिदिन मीठे और प्यार भरे शब्दों का उपयोग करने लगे,जिससे उनकी अच्छी आदत बन गई।फिर मोनू जी के लिए कौन छोटा और कौन बड़ा। वह बड़े आसानी से लोगो से संपर्क में बनते गए।

सब्जी बाले भैया,जो हमेसा से ऐसे माहौल पे पले बड़े,जहां अभद्र शब्दो का ज्यादा चलन रहा।भले मुह से निकले शव्दों का मतलब पे हमारा ध्यान न जाये,या हम समझ न पाएं की जो हम बोल रहे हैं या कर रहे हैं, सामने बाले पे उसका क्या प्रभाव पड़ रहा है या सुनने में कैसा लग रहा है। बुरी आदतें हमारा नुकशान ही नही,बल्कि लोगो के प्रति एक ऐसी छवी बना देतीं हैं, जिससे हर कोई कटता रहता है और हमें कई दफा शर्मिंदा ,लज्जित भी होना पड़ता है।

अगर हम ठीक से चलते हैं, बैठते हैं, बाते करते हैं,या व्यवहार करते हैं ,वही चल कर आंगें आदत पे बदल जाती है और जब एक बार आदत बन जाती है, तो फिर उसे बदलना या छोंड़ना आसान नही होता है। अब निर्भर ये करता है कि हम कौन सी आदतें बनाते हैं, अच्छी की बुरी।







Friday, September 21, 2018

चलते रहना


जिस समय मे हम सब रह रहे हैं, वो किसी जादूनगरी से कम नही है, आंख मूद कर खोलते ही चीजे हमारे हाँथ में होती हैं,जिसके लिए न कुर्शी से उठना पड़ता है, और न ही ज्यादा इन्तजार करना पड़ता,उसके लिए तो हमारी हाँथ की उंगलियां ही काफी है।

जी मै बात कर रहा हूँ,बदलते समय के बारे में ,आवश्यकता ही अभिष्कार कि जननी है, नए तकनीको का अभिष्कार ही परिवर्तन है,और परिवर्तन ही हमारा जीवन है। जिसमे हमारे रोजमार्या की चीजें सामिल होती हैं,आज भले हमारे पास बहुत कुछ हो,सभी प्रकार की शुख शुभिधायें हों,लेकिन एक अच्छे  स्वास्थ्य की कमी  हर आदमी के पास है,जबकि हम सभी चाहते हैं की हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहे,किसी प्रकार जी कोई बीमारी न हो।
अगर मै अपनी बात करूं तो मै एक आम आदमी हूँ, जहां मुझे कई तरह के समझौते करने पड़ते हैं, जिसमे से एक किस्सा काफी मशहूर है, और लोगो की रायें भी काफी दिलचस्प है, मै एक लिमिटेड कंपनी मे नोकरी करता हूँ, मेरे आफिस से मेरे घर तक कि दूरी 3 से 4 किलोमीटर के बीच की है,आफिस जाते जाते समय तो मैं ऑटो का सहारा ले लेता हूँ,जबकि आफिस से घर आते हुये,मैं पैदल चलना ही पसंद करता हूँ,एक तो शाम का मनमोहक समय होता है, और दूसरा की मुझे आफिस से छुटकारा पाकर,गाने सुनने का मौका मिलता है, जिसे मैं गबाना नही चाहता।
पूरे दिन में सबसे ज्यादा खुशी मुझे चल कर घर जाने में होती है, एक तो ऑटो के पैसे बच जातें हैं, दूसरा हाँथ  पैर की एक्सरसाइज भी हो जाती है,और हिंदी गाने सुन कर ,दिल दिमाक भी सही हो जाता है,पैदल चल कर जाने में एक साथ कितने फायदे होते हैं और मै उन लोगों के ताना मारने ,मजाक उड़ाने के बारे में सोच कर ,चलना बंद कर दूं,जो कहते हैं कि मै पैसे बचाने के लिये पैदल चलता हूँ,मै कमजूस हूँ,इतना पैसा बचा कर ,कौन से बैंक में रखूँगा,और पता नही क्या क्या कहते रहते हैं। जबाब में मैं कुछ कहता नहीं, बल्कि हँस कर ही टाल देता हूँ,कोई अंधा तो है नही जो दिखाई नही देता, मुझे अच्छी तरह से पता है कि मेरे लिए क्या फायदे का और क्या नुकशान का,शाम को चलना भले एक बहाना हो,पर मैं अपने दैनिक जीवन मे चलता फिरता रहता हूँ,चाहे शुबह उठ कर दूध लाने जाना हो,या रात में भोजन करने के बाद,रिस्तेदारो से फोन में टहलते टहलते बात करना हो,जिससे मैं अपने आप को फिट और एक्टिव रखता हूँ, और इस समय मुझे स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या नही है,मेरे सिक्स पैक तो नही है लेकिन मैं उन लोगो की तरह भी नही दिखता,जो अपने बढ़े मोटाबे से परेशान हैं।

एक इंसान का जीवन चलते फिरते रहने का है, हँसते खेलते रहने का है, अगर हम छोटी छोटी बातों को समझ लें, और बिना किसी की परवाह किये ,अपने स्वास्थ्य के लिये कोई कदम उठाते हैं तो उसमें कोई बुराई नहीं है, हमारी सेहद हमारे हाँथ में है, थोड़ा अपने स्टैटस को साइड में रख कर चलना,दौड़ना सीखें,और अपने साथियों को भी अपने अनमोल जीवन के बारे में बताएं ,बेकार के दिखाबे में अपने साथ खिलबाड़ मत करें, क्योंकि खाली पड़े घर मे भी कितना धूल मिट्टी,कीड़े मकोड़े डेरा जमा लेते हैं, हम तो फिर भी इंसान हैं,हमारे सही खान पीन,और व्यायाम न होने से,शरीर मे कई तरह के रोग मर्ज पनपने लगते हैं, और नतीजा ये होता है की हम किसी बहुत बड़ी बीमारी की गिरोह में फस जातें हैं।

ये जीवन हमारा है, और इसे कैसे जीना है, ये हमपे ही निर्भर करता है,फिर कितने ही परिवर्तन होते रहें,दुनियां चाहे चाँद पे भी क्यूँ न बसने लगे,लेकिन प्राकृति अपनी जगह हमेसा कायम रहेगी,दो कदम चलते फिरते रहने के लिए,अमीर गरीब होना जरूरी नही है, उसके लिए विचारों की जरूरत है, जो सही और गलत विषय का चुनाव कर सके,स्वास्थ रहिये,खुश रहिये और जीवन के सारे आनंद लेते रहिये।

धन्यवाद
पंकज चतुर्वेदी

Tuesday, September 18, 2018

शुबह

  मै प्रतिदिन शुबह उठता हूँ,मुझे शुबह उठना बहूत पसंद है,शुबह उठने के कई सारे फायदे है, सबसे पहला फायदा तो यही होता है कि हम पूरा  दिन फिट और एक्टिव रहते है।
अगर हम शुबह जल्दी उठते है,तो हम सभी काम समय पे कर लेते है, जिससे फायदा ये होता है, की हम किसी भी कार्य को जल्दबाजी में नही करते है, और  जो भी कार्य कर रहे होते है,उसकी क्वालिटी को बेहतर कर सकते है।
शुबह जल्दी उठने का एक फायदा ये भी है कि हमे गुस्सा कम आता है, जिससे हमारे आस पास का वातावरण खुशमिजाज होता है, और हमसे संपर्क में रहने वाले लोगो से व्यहार अच्छा होता है,लड़ाई झगड़े की ज्यादा गुंजाइस नही होती है।

शुबह उठने बाले व्यक्ति सकारात्मक विचार वाले होते है, क्योंकि शुबह एक ऐसा वक्त होता है,जब सारी प्राकृति रचनाए हमारे इर्द गिर्द होती है, तब वातावरण शुद्ध और  स्पष्ठ होता है, जिसमे किसी तरह की कोई मिलाबट नही होती है,जो हमारे मन को शांति और सुकून का ऊर्जा संचालित करती है।